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सोये न कोई फुटपाथों पर,
सबका अपना-अपना घर हो |
हर हाथ काम में लगे रहें,
सम्मान से ऊँचा हर सर हो|
जिसमे न कोई भी भूखा हो,
मेरे सपनो का भारत ऐसा हो ||
हर चेहरे पर खुशहाली हो,
और खेतों में हरियाली हो |
सब प्रेम भाव से गले मिलें,
चाहे ईद हो या दीवाली हो |
जिसमे हो न कोई भेद-भाव,
मेरे सपनों का भारत ऐसा हो ||
हर बच्चा शिक्षा लेता हो,
हर शिक्षक शिक्षा देता हो |
हर गांव में एक विद्यालय हो,
हर घर में एक शौचालय हो |
नारी निर्भय हो रहे जहाँ,
मेरे सपनों का भारत ऐसा हो ||
सब लोग स्वच्छ हों सुंदर हों,
कोई मैल न मन के अंदर हो |
हम प्रगति करें आगे को बढ़ें,
पर अपनी जड़ों से जुड़े रहें |
जिसमे सम्मान बड़ों का हो,
मेरे सपनों का भारत ऐसा हो ||
मानव, मानव ही बना रहे,
दानव बनकर न लहू पिए |
हम देश से अपने प्रेम करें,
उसकी उन्नति के लिए जियें |
जिसमे हर प्राणी सच्चा हो,
मेरे सपनों का भारत ऐसा हो ||
तेज पाल सिंह
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